“ये, काँग्रेसी हिंदुस्तान को आजाद कराना चाहते हैं! हजारों साल सिर पटकते रहें, कुछ न होगा”-उस्ताद मंगू कोचवान।।



ये, काँग्रेसी हिंदुस्तान को आजाद कराना चाहते हैं! हजारों साल सिर पटकते रहें, कुछ न होगा-उस्ताद मंगू कोचवान।।

नया कानून

सआदत हसन मंटो

एक परिचय- मंटो ने कुल 43 वर्ष के जीवन काल में अनेक विवादास्पद, चर्चित और विशिष्ट कहानियाँ लिखीं। उनके लेखन से उर्दू साहित्य में यथार्थवाद का एक नया दौर शुरू हुआ। उनकी चेतना पर भारत-पाक विभाजन का तीखा असर पड़ा। उनकी ऐसी कहानियाँ ‘स्याह हाशिये’ नामक कहानी संग्रह में मिलती हंै। ‘खोल दो’, टोबा टेकसिंह’, ‘हतक’, ‘लाइसेंस’, ‘काली सलवार’ मंटो की प्रसिद्ध रचनाएँ हैं। सन् 1947 में विभाजन के समय मंटो पाकिस्तान चले गए।

पिछले भाग में आपने पढ़ा कि कैसे ‘नया कानून’ कहानी का पात्र ‘मंगू कोचवान’ बड़ी सफाई से अपने साथियों को समझा दिया कि भारत में हमेशा दंगे होते रहेंगे। वो इसलिए कि भारत को किसी दरवेश पीर ने श्राप दिया है, जिसके वजह से भारत में दंगे होंगे।जा, तेरे हिंदुस्तान में हमेशा फसाद ही होते रहेंगे– सआदत हसन मंटो द्वारा रचित ‘नया कानून’ से।

अब आगे.........

ये, काँग्रेसी हिंदुस्तान को आजाद कराना चाहते हैं! हजारों साल सिर पटकते रहें, कुछ न होगा।

‘.....और देख लो, जब से अकबर बादशाह का राज खत्म हुआ है, हिंदुस्तान में फसाद-पर-फसाद होते रहें हैं।’ यह कह कर उसने ठंडी साँस भरी और हुक्के का दम लगा कर अपनी बात कहनी शुरू की, ‘ये काँग्रेसी हिंदुस्तान को आजाद कराना चाहते हैं। मैं कहता हूँ, अगर ये लोग हजार साल भी सिर पटकते रहें तो भी कुछ न होगा। बड़ी-से-बड़ी बात यह होगी कि अंग्रेज चला जाएगा और कोई इटली वाला आ जाएगा; या वह रूस वाला, जिसके बारे में मैंने सुना है कि वह बहुत तगड़ा आदमी है। लेकिन, हिंदुस्तान सदा गुलाम रहेगा। हाँ, मैं यह कहना भूल ही गया कि पीर ने यह बद-दुआ भी दी थी कि हिंदुस्तान पर हमेशा बाहर के आदमी राज करते रहेंगे।’


उस्ताद मंगू को अंग्रेजों से बड़ी नफरत थी। इस नफरत का कारण वह यह बतलाया करता था कि वे उसके हिंदुस्तान पर अपना सिक्का चलाते हैं और तरह-तरह के जुल्म ढाते हैं। मगर उसकी नफरत की सबसे बड़ी वजह यह थी कि छावनी के गोरे उसे बहुत सताया करते थे। वे उसके साथ ऐसा बर्ताव करते थे, जैसे वह एक जलील कुता हो। इसके अलावा उसे उनका रंग भी बिलकुल पसंद न था। जब कभी वह किसी गोरे के सुर्ख-सफेद चेहरे को देखते तो उसे मतली-सी आ जाती, न जाने क्यों। वह करता था कि उनके लाल झुर्रियों-से भरे चेहरे को देख कर, उसे वह लाश याद आ जाती है, जिसके जिस्म पर से ऊपर की झिल्ली गल-गल कर झड़ रही हो।

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