ऐसी खबर सुनाऊँ कि तेरा जी खुश हो जाए! तेरी इस गंजी खोपड़ी पर बाल उग आएँ’-उस्ताद मंगू।

ऐसी खबर सुनाऊँ कि तेरा जी खुश हो जाए! तेरी इस गंजी खोपड़ी पर बाल उग आएँ’-उस्ताद मंगू।

नया कानून

सआदत हसन मंटो

एक परिचयः मंटो ने कुल 43 साल के जीवन काल में अनेक विवादास्पद, चर्चित और विशिष्ट कहानियाँ लिखीं। उनके लेखन से उर्दू साहित्य में यथार्थवाद का एक नया दौर शुरू हुआ। उनकी चेतना पर भारत-पाक विभाजन का तीखा असर पड़ा। उनकी अनेक ऐसी कहानियाँ ‘स्याह हाशिये’ नामक कहानी संग्रह में मिलती है। ‘खोल दो’, ‘टोबा टेकसिंह’, ‘हतक’, ‘लाइसेंस’, ‘काली सलवार’ मंटो की प्रसिद्ध रचनाएँ हैं। सन् 1947 में विभाजन के समय मंटो पाकिस्तान चले गए।

पिछले भाग में आपने पढ़ा, कैसे नायक मंगू कोचवान नया कानून यानी ‘इंडिया एक्ट’ के आने से बहुत खुश हुआ और इसको अपने साथियों को सुनाने के लिए कितना बेचैनी के साथ इधर-उधर मारा फिरता रहा।नया कानून यानी ‘इंडिया एक्ट’ अनेवाला है को सुनकर मंगू कोचवान ऐसे नाचने लगा, जैसे घने बादल को देख मोर नाचता हो।

अब आगे............

ऐसी खबर सुनाऊँ कि तेरा जी खुश हो जाए! तेरी इस गंजी खोपड़ी पर बाल उग आएँ।’ उस्ताद मंगू।

वह बेहद खुश था। खासकर उस समय उसके मन को बड़ी ठंडक पहुँचती, जब वह सोचता कि इन गोरों-सफेद चूहों (वह उनको इसी नाम से याद करता था) की थुथनियाँ, नए कानून के आते ही, बिलों मे ंहमेशा-हमेशा के लिए गायब हो जाएँगी।

जब नत्थू गंजा, पगड़ी बगल में दबाए, अड्डे में दाखिल हुआ तो उस्ताद मंगू बढ़ कर उससे मिला और उसका हाथ अपने हाथ में लेकर, ऊँची आवाज में कहने लगा-‘ला हाथ इधर। ऐसी खबर सुनाऊँ कि तेरा जी खुश हो जाए! तेरी इस गंजी खोपड़ी पर बाल उग आएँ।’

और यह कह कर मंगू ने बड़े मजे ले-ले कर नए कानून के बारे में अपने दोस्त से बातें शुरू कर दीं। बातों के दौरान उसने कई बार नत्थू गंजे के हाथ पर जोर से अपना हाथ मार कर कहा-‘तू देखता रह, क्या बनता है। यह रूस वाला बादशाह कुछ-न-कुछ जरूर करके रहेगा।’

उस्ताद मंगू मौजूद सोवियत रूस की समाजवादी सरगर्मियों के बारे में बहुत कुछ सुन चुका था और उसे वहाँ के नए कानून और दूसरी नई चीजें बहुत पसंद थीं। इसीलिए उसने ‘रूस वाले बादशाह’ को ‘इंडिया ऐक्ट’-यानी नए विधान के साथ मिला दिया और पहली अप्रैल को पुराने निजाम में नई फेर-बदल होने वाली थी, वह उसे ‘रूस वाले बादशाह’ के असर का नतीजा समझता था।

 

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