कहानी नायक उस्ताद मंगू नए कानून को देखना चाहता था, ठीक उसी तरह, जिस तरह वह अपने घोड़े को देख रहा था।
कहानी नायक उस्ताद मंगू नए कानून को देखना
चाहता था, ठीक उसी तरह, जिस तरह वह अपने घोड़े को देख रहा था।
नया कानून
सआदत हसन मंटो
एक परिचय: मंटो ने कुल 43 वर्ष के जीवन काल में अनेक विवादास्पद, चर्चित और विशिष्ट कहानियाँ लिखीं। उनके लेखन
से उर्दू साहित्य में यथार्थवाद का एक नया दौर शुरू हुआ। उनकी चेतना पर भारत-पाक
विभाजन का तीखा असर पड़ा। उनकी अनेक ऐसी कहानियाँ ‘स्याह हाशिये’ नामक कहानी संग्रह
में मिलती हैं। ‘खोल दो’,
‘टोबा टेकसिंह’, ‘हतक’, ‘लाइसेंस’, ‘काली सलवार’, मंटो की प्रसिद्ध रचनाएँ हैं। सन् 1947 में विभाजन के समय मंटो पाकिस्तान चले गए।
पिछले भाग में आपने पढ़ा कि कहानी नायक उस्ताद
मंगू ‘नया कानून’ की खोज में सुबह के सर्द धुँधलेके में, कई तंग और खुले बाजारों का चक्कर लगाना
शुरू कर दिया।उस्ताद मंगू ‘नया कानून’ की खोज में सुबह के सर्द धुँधलेके में, कई तंग और खुले बाजारों का चक्कर लगाना शुरू कर दिया
अब आगे..........
कहानी नायक उस्ताद मंगू नए कानून को देखना
चाहता था, ठीक उसी तरह, जिस तरह वह अपने घोड़े को देख रहा था।
घोड़े के टापों की आवाज; काली सड़क और उसके आस-पास थोडा-थोड़ा फासला छोड़
कर लगाए हुए बिजली के खंभे; दुकानों के बोर्ड; उसके घोड़े के गले में पड़े हुए घुँघरुओ की झनझनाहट; बाजार में चलते-फिरते आदमी -इनमें
कौन-सी चीज नई थी? जाहिर है कि कोई भी नहीं।
लेकिन उस्ताद मंगू निराश नहीं हुआ। ‘अभी बहुत सबेरा है। दुकानें भी
तो सब-की-सब बंद है।’ इस ख्याल ने उसे तसकीन दी। इसके अलावा, वह यह भी सोचता था, ‘हाईकोर्ट’ में तो नौ बजे के बाद ही काम
शुरू होता है। अब इससे पहले नया कानून क्या नजर आएगा?’
जब उसका ताँगा गवर्नमेंट कॉलेज के दरवाजे के करीब पहुँचा तो कॉलेज के
घड़ियाल ने बड़े घमंड से नौ बजाए। जो विद्यार्थी कॉलेज के बड़े दरवाजे से बाहर निकल
रहे थे, खुश-पोश
थे, पर
उस्ताद मंगू को न जाने क्यों उनके कपड़े मैले-मैले से नजर आए।
शायद इसका कारण यह था कि उसकी निगाहें आज आँखों को चैंधिया देने वाले
किसी जलवे का इंतजार कर रही थीं।
ताँगे को दाएँ हाथ मोड़ कर, वह थोड़ी देर के बाद फिर अनारकली में चला गया।
बाजार की आधी दुकानें खुल चुकी थीं और अब लोगों की आमद-रफ्त भी बढ़ गई थी।
हलवाई की दुकानों पर ग्राहकों की खूब भीड़ लगी थी। मनिहारी वालों की
नुमायशी चीजें शीशे की आलमारियों में से, लोगों को अपनी ओर खींच रही थीं और बिजली के
तारों पर कई कबूतर आपस में लड़-झगड़ रहे थे, पर उस्ताद मंगू के लिए इन तमाम चीजों में कोई
दिलचस्पी नहीं थी ।
.........वह नए कानून को देखना चाहता था, ठीक उसी तरह, जिस तरह वह अपने घोड़े को देख रहा था।