रोजगार देने में मोदी का डंका बज रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि बेरोजगारी का डंका बज रहा है।
रोजगार देने में मोदी का डंका बज रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि बेरोजगारी का डंका बज रहा है।
भरत के लोगों को रोजगार देने में भी पीएम नरेंद्र मोदी फिसड्डी साबित होते दिख रहें हैं। देखा जाय तो मोदी इस मामला पर लगता है कभी विचार किये हीं नहीं।अडानी लूटपाट नीति के खिलाफ कांग्रेस का देशव्यापी प्रदर्शन
मोदी सरकार की प्राथिमिकता कभी भी ख़ाली पद भरने की नहीं रही है। 2014 के मुक़ाबले केंद्र सरकार में सिविलियन नौकरियों के ख़ाली पद दोगुना हो गए हैं। सरकारी महकमों में कुल मिलाकर 30 लाख़ पद ख़ाली हैं।
इस मुद्दा पर कांग्रेस अध्यक्ष का कहना है कि संवेदनहीन मोदी सरकार
दलित विरोधी, आदिवासी विरोधी, पिछड़ा
वर्ग और आर्थिक तौर पर कमज़ोर वर्गों की विरोधी है, तभी
ये ख़ाली पद नहीं भर रही !
देखा जाय तो मोदी जी कुछ हज़ार भर्ती पत्र बाँटकर, वाहवाही बटोरने की क़वायद में, युवाओं की आँखों में धूल झोंकने का काम कर रहे
हैं, नई भर्ती कोई निकल नहीं रही और मेला लगाकर हर महीने 70 हजार नौकरियों का ज्वाइनिंग लेटर दिया जा रहा
है, जो सब समझ से परे है।
लोगों को नौकरी देने में कांग्रेस बनाम भाजपा को देखें तो कौन आगे निकलेगा
ये सवाल जानने योग्य है और रोचक भी। सच है कि दिमाग अखरोट खाने से नहीं बल्कि ठोकर खाने से
खुलता है।
नौकरी के मामले में राज्य में उतर प्रदेश सरकार के अखिलेश सरकार और
केंद्र में कांग्रेस सरकार सही थी। मोदी सरकार द्वारा सरकारी नौकरियों के पदों को
खाली रखने का सबसे बड़ा व महत्वपूर्ण कारण है, ‘प्राइवेटाइजेशन और कॉरपोरेट’ का
एकाधिकार, क्योंकि जितना अडानी-अंबानी कमाएंगे उतना ही वह भाजपा को चंदा देंगे ये
भी बात सोलह आना सच हीं है।
मकसद तो केवल अपना डंका बजवाना है, देश
के गर्त में जाने से भाजपा को क्या करना! मेहंगाई, बेरोज़गारी, डॉलर के मुकाबले रूपये 83 का होना और देश का अर्थव्यवस्था चौपट होना भी देश में
बेरोजगारी का बङा कारण है।
फिर भी कुछ मोदीभक्तों के मानसिकता को यह सब देखते हुये भी कहतें हैं
"विदेशों में मोदी का डंका बज रहा है", जबकि सच्चाई यह है कि डंका नहीं, बेरोजगारी का डंका बज रहा है।DONATE