मणिपुर को हिंसा से अब कौन बचाएगा, क्या मणिपुर भी गुजरात हो जायेगा!
डर इस बात की है कि कहीं मणिपुर भी गुजरात ना हो जाये! मणिपुर को हिंसा से अब कौन बचाएगा, कहीं मणिपुर भी गुजरात ना हो जाये!पीएम मोदी मणिपुर को जातिय हिंसा के आग में जलने के लिए क्यों छोङ दिये? आज का बङा सवाल
आज मणिपुर हिंसा के आग में जल रहा है। जातीय संघर्ष से शुरू हुआ इस हिंसा
में लगभग 5000 घर जलकर रख हो चुके हैं। अनेकों गाड़ियाँ जलकर रख हो गई हैं। सरकारी
और आम लोगों की संपत्ति को आग के हवाले कर दिया गया है। आम लोगों की संपत्ति को
दंगाई लोग कभी भी आग के हवाले कर सकते हैं, मणिपुर के ये वर्तमान स्थिति है।
मणिपुर के इस हिंसा में करीब 150 लोगों को मारे जान की भी खबर है, से
लोग तबाह हो गए हैं और भयभित भी हैं। मणिपुर के लोग अपना गाँव घर छोड़कर शहर या
दूसरे जगह भाग निकले हैं। गांव-के- गांव खाली हो चुके हैं। कुछ जंगल को भाग रहे
हैं। बच्चे, बूढ़े, नौजवान और महिलाएं आदि सभी लोग गाँव छोड़ चुके हैं।
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार करीब मणिपुर के साठ हजार लोग अपना घर छोङकर
सरकारी तंबू में र रहे हैं। मणिपुरी लोग सरकारी तंबू में रहने को मजबूर है, ये
मणिपुर की स्थिति है।
मणिपुर महामहिम राज्यपाल ने कहा कि जब मैं हिंसा से पीड़ित लोगों से मिलने
तंबू में जाती हूँ, तो मैं बहुत दुखित होती हूँ। दुःख से शरीर में कंपन होती है। ये
लोग हमसे पूछते हैं, “कब
शांति आएगी?” ये लोग खेती-बड़ी छोड़कर तंबू में र रहे हैं।
इनके जीवन का गुजारा कैसे होगा आगे के समयों में।
मणिपुर में जिस प्रकार से हिंसा के रूप को देखी हूँ, शरीर काँपने
लगता है।फायरिंग हो रही हैः लोग भाग रहे हैं। “मणिपुर जैसे हिंसा मैंने अपने पूरे जीवन में
नहीं देखी।”
भारत लीडर राहुल गांधी मणिपुर हिंसा पीड़ितों से मिलने गए, तो पहले
मणिपुर सरकार इन्हें जान से माना कर दी। मणिपुर के लोग सड़क पर उतार आए। सङक पर
पुलिसों से दो-दो हाथ किया, पुलिसों की लाठियाँ खाई, तब
मणिपुर की सरकार ने राहुल गांधी को अंदर जान और हिंसा से पीङितों से मिलने की
अनुमति दी।
राहुल गांधी हिंसा से पीङित लोगों से मिले तो लोग उनसे लिपट-लिपट कर
रोने लगे। एक महिला तो गोद में बच्चा लिए, राहुल गांधी की गाड़ी से लिपट कर रोने
लगीं। राहुल गांधी हिंसा पीङितों से मिलने के बाद बताया की तंबू में र रहे लोगों
के लिए मेडिकल सुविधा की जरूरत है और मणिपुर को शांति की जरूरत है इसके लिए हमसे
जो होगा हम करेंगे।
जिस मोदी ने कांग्रेस को बदनाम करके, कांग्रेस को मणिपुर का खलनायक
बताकर और जनता को बेवकूफ बना कर वोट लिया और मणिपुर में सरकार बनाई, वो मोदी अभी तक
मणिपुर हिंसा के 80 दिन होने के बावजूद मणिपुर नहीं गए। आपको मालूम हो मणिपुर में
बीजेपी मोदी की ही सरकार है और इसके बावजूद मोदी ना मणिपुर जा रहे हैं और ना ही
हिंसा रोकने के लिए कोई खास कदम उठा रहे हैं।
आखिर, मणिपुर को हिंसा से अब कौन बचाएगा! मोदी ने कांग्रेस को बदनाम
करके मणिपुर से बाहर का रास्ता दिखा दिए हैं और अब जब मणिपुर को एक कांग्रेसी नेता
की जरूरत है, तो मोदी पीठ दिखाकर सत्ता का आनंद ले रहे हैं। डर इस बात की है कि कहीं
मणिपुर भी गुजरात ना हो जाये!
मणिपुर को हिंसा से कौन बचाएगा? हिंसा के 80दिन। 150 मरे। 5000घर जले।साठ हजार बेघर