भारत में हो रहे हिंसा की जिम्मेदारी कौन लेगा, जब पीएम नरेंद्र मोदी मणिपुर हिंसा पर जवाब देने के बजाय छुपते फिर रहें हैं!
नरेंद्र मोदी जी का चुनाव में करारा हार हीं, भारत को हिंसा में जलने
से बचा सकता है।
भारत में ख़राब स्थिति का जिम्मेदार नेहरू,
महात्मा गाँधी, अम्बेडकर, मौलाना आदि महान पुरूषों और कांग्रेस को ठहरानेवाले आज
चुप्पी साध लिया है। सदन में खङा होकर एक वाक्य बोलने को तैयार नहीं हैं, जबकि
विपक्ष पिछले ग्यारह दिनों से लगातार कहता आ रहा है कि पीएम सदन में खङा होकर
मणिपुर हिंसा पर बोलें।
लेकिन भारत का वो पीएम जो “हम भारत के लोग” को ये कहता
रहा कि आज जो भारत में दंगा-फसाद जैसे हालात हैं, उसका जिम्मेदार कांग्रेस के
लम्बे समयों तक किया गया शासन है और नेहरू की नीतियाँ हैं। अब कांग्रेस सत्ता में नहीं
रही और पिछले नौ साल से केंद्र के सत्ता से दूर है और राज्य में भी गिने-चुने
सरकार बची हैं।
अभी भारत के सभी राज्यों में बीजेपी
नरेंद्र मोदी की हुकूमत कायम है, ये जो कहता है और ये जो करना चाहता है, वहीं भारत
में होता है, ऐसे भारत के वर्तमान हालात हैं। अब नरेंद्र मोदी को भारत के आज के
स्थिति की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। कम-से-कम देश के लोगों को भी ऐसे मोदी को समझना
चाहिए जो जिम्मेदारी लेने से भागता फिर रहा है।
देखा जाय तो नरेंद्र मोदी जी की
राजनीतिक कैरियर की शुरूआत गुजरात के मुख्यमंत्री के ऱूप में हुई, जो मोदी को
आरएसएस के अनुकंपा पर मिला। और जब गुजरात से सत्ता जाने लगा, तो इन लोगों गुजरात
में दंगा-फसाद करा दिया। जिसके बाद से आरएसएस और बीजेपी कार्यकर्ता नरेंद्र मोदी
की पकङ गुजरात पर मज़बूत हो गई और अभी तक कायम है।
आरएसएस और बीजेपी कार्यकर्ता नरेंद्र मोदी आज वर्तमान भारत में वहीं
गुजरातवाला प्रयोग करते दिख रहें हैं। गुजरात से शुरू हुआ दंगा-फसाद पुरे भारत में
फैल चुका है। भारत के सभी राज्यों में छिट-फुट ऱूपों में गुजरात जैसे दंगा-फसाद
हालात पैदा होते हुए देखा और समझा जा सकता है।
हालाँकि इस काम में मोदी को सिर्फ
बीजेपी शासित राज्यों में सफलता मिली है, लेकिन इनके द्वारा प्रयास सभी राज्यों
में किया गया।
उदाहरण के तौर पर बिहार में रामनवमी
के दिन दंगा-फसाद फैलाने का प्रयास किया गया, लेकिन यहाँ की सरकार ने मोदी के इस प्रयास
को चुरमा बना दिया। ऐसा हीं पश्चिम बंगाल की सरकार ने भी मोदी के दंगा-फसाद की
योजना का धज्जियाँ उङा कर रख दी। गैर-बीजेपी शासित सभी राज्यों मोदी के प्लान का
यहीं हाल हुआ।
लेकिन, बीजेपी शासित राज्य मणिपुर आरएसएस और बीजेपी कार्यकर्ता नरेंद्र मोदी के
दंगा-फसाद फैलाना और शासन करना के कार्यनीति का शिकार हो गया है। और अभी हाल में
राजधानी से सटे राज्य हरियाणा शिकार हो गया। अब हरियाणा को हिंसा के आग में जलने
से सिर्फ चुनाव हीं बचा सकता है, जिसमें नरेंद्र मोदी का करारा हार हो।
एक वाक्य में कहा जाय, तो आरएसएस और बीजेपी कार्यकर्ता नरेंद्र मोदी का
चुनाव में करारा हार हीं भारत को हिंसा में जलने से बचा सकता है।