हरियाणा और पंजाब के किसान इस दशहरा में रावण के जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को पुतला बनाया।
हरियाणा और पंजाब के किसान इस दशहरा में रावण के जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को पुतला बनाया।
हरियाणा औऱ पंजाब के किसान इस बार
दशहरा अलग तरीक़ा से मनाया है। दशहरा के दिन रावण, कुम्भकरण, मेघनाद आदी राक्षसों
का पुतला बनाकर दहन करने का काम किया जाता है। इसे भारत के लोग बुराई पर अच्छाई की
जीत के रूप में बहुत पहले से ही मनाते आ रहें हैं। बुराई पर अच्छाई का जीत इस
दशहरा का उद्देश्य है।
लेकिन, हरियाणा और पंजाब के किसान इस दशहरा में रावण के जगह भारत के
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को पुतला बनाया औऱ इनके दस सर में भारत के अन्य
मंत्री और उद्योगपति अडानी आदि को लगाया और फिर रावण के पुतला का दहन किया।
किसानों ने इस रावण दहन में उसको दहन किया है, जिसने काले कृषि कानून लाने की हिमायत की थी और
जिसको रोकने में करीब 700 के आसपास किसान इस आंदोलन मे शहीद हुए थे।
हरियाणा और पंजाब के किसानों ने जिस
प्रकार से इस बार का दशहरा मनाया है, उस दशहरा को कुछ लोग आलोचना भी कर रहें हैं,
लेकिन यहाँ सवाल खङा होता है कि आख़िर
ये किसान
अलग तरह से दशहरा क्यों मनाया? इन किसानों के इसपर भी हम लोगों को विचार करने कि
आवश्यक्ता है।
नरेंद्र मोदी के द्वारा लाये गये
काले कृषि कानून जो गौतम अडानी, अम्बानी आदी उद्योगपतियों के हीत का ध्यान रखते
हुए इस कानून को लाया गया था। उसको रोकने के लिए पंजाब और हरियाणा के किसान करीब
साल भर तक दिल्ली के पास अपने बच्चों, महिलाओं औऱ बुढ़े माँ-बाप के साथ आंदोलन
किये।
किसान के इस आंदोलन में करीब 700 से
ज्यादा किसान शहीद हो गये थे। इसके बावजूद आजतक ये किसान MSP को लेकर मोदी सरकार से संघर्ष कर रहें हैं। इतना संघर्ष के बाद भी इन
किसानों को आजतक उनका अधिकार MSP, जिसके लिए इतने शहादत दी वो नहीं मिला।
यहीं वजह से किसान मोदी को अभी तक किसान हितैषी नेता नहीं माने हैं। जिसका परिणाम ये रहा कि इस बार किसान लोग रावण के रूप में मोदी को ही रखा। पीएम नरेंद्र मोदी को इन किसानों की बात मानकर और MSP लागू करके, इन नाराज किसान को मना लेना चाहिए। इन किसानों को अपने पक्ष में कर लेना चाहिए।